स्पॉन्डिलाइटिस क्या है ?
आज-कल यह बीमारी आम हो गई है। आइए समझें की यह बीमारी है क्या ? स्पॉन्डिलाइटिस का सम्बन्ध रीढ़ की हड्डी से है। इस रोग में गर्दन के पास की रीढ़ के हड्डी में सूजन आ जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी अपनी गर्दन को न घुमा पाता है न ही ऊपर नीचे कर पाता। यदि करता है तो उसे तीव्र वेदना होती है | यह कशेरुकाओं के बीच का अंतर कम हो जाता है। यह बीमारी गलत तरीके से बैठना, सोना एवं कार्य करने से होता है।
लक्षण-
1. व्यक्ति के पीठ, कंधे और गर्दन में दर्द होना।
2. सिर में भारीपन या चक्कर आना।
3. हाथ- पैर का सुन्न होना।
4. उठने-बैठने पर चक्कर आना। आदि
कारण-
1. दिनभर गर्दन को झुकाकर काम करना।
2. ऊँचा तकिया लगाकर सोना।
3. गर्दन झुकाकर लिखना-पढ़ना आदि।
4. कम्प्यूटर पर लगातार काम करना।
5. ऐसे शिक्षक जो गर्दन ऊपर किए लगातार बोर्ड पर लिखते हैं या सर झुकाए लगातार कापियाँ जाँचते है।
योगिक उपचार -
1. लकड़ी के तख़्त पर बिना तकिया लगाए सोना।
2. शायं सोते समय गर्दन के नीचे तकिया रखकर सिर को पीछे की ऒर लटकाना ।
3. भुजंगासन, शलभासन, उष्ट्रासन, मत्स्यासन, मकरासन, सुप्त ताड़ासन, अर्द्ध चक्रासन आदि।
4 .योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में मेरुदंड के आठ व्यायाम करना ।
5. मर्कट आसन योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में।
4. कंधो का व्यायाम ।
विशेष-
1. कोई भी आसन झटके से नहीं करना है। अच्छा होगा की योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में ही करें।
2. स्पॉन्डिलाइटिस के रोगी लगातार एक सप्ताह तक आसन एवं व्यायाम करने से ठीक हो जाते हैं।
3. ऐसे लोग जो लगातार कम्प्यूटर पर काम करते हैं। बहुत समय तक कुर्सी पर बैठे रहते है या गर्दन झुकाकर या ऊपर उठाकर लम्बे समय तक काम करते हैं, उन्हें ऊपर बताए गए आसन और सूक्ष्म-व्यायाम प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए।
आज-कल यह बीमारी आम हो गई है। आइए समझें की यह बीमारी है क्या ? स्पॉन्डिलाइटिस का सम्बन्ध रीढ़ की हड्डी से है। इस रोग में गर्दन के पास की रीढ़ के हड्डी में सूजन आ जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी अपनी गर्दन को न घुमा पाता है न ही ऊपर नीचे कर पाता। यदि करता है तो उसे तीव्र वेदना होती है | यह कशेरुकाओं के बीच का अंतर कम हो जाता है। यह बीमारी गलत तरीके से बैठना, सोना एवं कार्य करने से होता है।
लक्षण-
1. व्यक्ति के पीठ, कंधे और गर्दन में दर्द होना।
2. सिर में भारीपन या चक्कर आना।
3. हाथ- पैर का सुन्न होना।
4. उठने-बैठने पर चक्कर आना। आदि
कारण-
1. दिनभर गर्दन को झुकाकर काम करना।
2. ऊँचा तकिया लगाकर सोना।
3. गर्दन झुकाकर लिखना-पढ़ना आदि।
4. कम्प्यूटर पर लगातार काम करना।
5. ऐसे शिक्षक जो गर्दन ऊपर किए लगातार बोर्ड पर लिखते हैं या सर झुकाए लगातार कापियाँ जाँचते है।
योगिक उपचार -
1. लकड़ी के तख़्त पर बिना तकिया लगाए सोना।
2. शायं सोते समय गर्दन के नीचे तकिया रखकर सिर को पीछे की ऒर लटकाना ।
3. भुजंगासन, शलभासन, उष्ट्रासन, मत्स्यासन, मकरासन, सुप्त ताड़ासन, अर्द्ध चक्रासन आदि।
4 .योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में मेरुदंड के आठ व्यायाम करना ।
5. मर्कट आसन योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में।
4. कंधो का व्यायाम ।
विशेष-
1. कोई भी आसन झटके से नहीं करना है। अच्छा होगा की योग प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में ही करें।
2. स्पॉन्डिलाइटिस के रोगी लगातार एक सप्ताह तक आसन एवं व्यायाम करने से ठीक हो जाते हैं।
3. ऐसे लोग जो लगातार कम्प्यूटर पर काम करते हैं। बहुत समय तक कुर्सी पर बैठे रहते है या गर्दन झुकाकर या ऊपर उठाकर लम्बे समय तक काम करते हैं, उन्हें ऊपर बताए गए आसन और सूक्ष्म-व्यायाम प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment